'अरे भैया, घाघरा चोली,साड़ियां पहनो ना' वुमेन फैशन पर भड़कीं आशा पारेख, बोलीं-'मोटे हो या जो, शादियों में पहनेंगी वेस्टर्न ड्रेस'

Monday, Nov 28, 2022-11:46 AM (IST)

मुंबई: बाॅलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस आशा पारेख इन दिनों फिल्मों से दूर हैं। हालांकि उन्हें कई बार इवेंट्स या फिर रियालिटी शो में बतौर गेस्ट स्पाॅट किया जाता है। हाल ही में आशा पारेख गोवा में चल रहे 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री और सोसाइटी कल्चर के बारे में बात की। आशा पारेख ने कहा कि उन्हें दुख होता है कि आज के समय में महिलाएं अपने पारंपरिक कपड़ों को छोड़कर शादियों में वेस्टर्न आउटफिट चुन रही हैं।

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आशा पारेख ने कहा- 'सब कुछ बदल गया है। अब जो फिल्में बन रही हैं... मुझे नहीं पता। हम काफी वेस्टर्नाइज्ड हो गए हैं। गाउन पहनकर शादी में आ रही हैं लड़कियां। अरे भैया, हमारी घाघरा चोली,साड़ियां और सलवार कमीज है आप वो पहनो ना। आप उन्हें क्यों नहीं पहनते हो?'

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अपनी बात जारी रखते हुए आशा पारेख ने कहा-'वे बस स्क्रीन पर हीरोइनों को देखती हैं और उन्हें कॉपी करना चाहती हैं। स्क्रीन पर देखकर सोचते हैं वो जो कपड़े पहन रहे हैं उस तरह के कपड़े हम भी पहनेंगे। मोटे हो या जो, हम वही  पहनेंगे।ये सब वेस्टर्न हो रहा है। मुझे दुख होता है। हमारा महान कल्चर है, डांस, म्यूजिक है। '

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कुछ दिन पहले दिग्गज एक्ट्रेस जया बच्चन ने भी कुछ ऐसी ही राय रखी थी। पॉडकास्ट व्हाट द हेल नव्या पर जया ने अपनी बेटी श्वेता बच्चन और पोती नव्या नंदा से पूछा था-'ऐसा क्यों है, मैं आप दोनों से पूछना चाहती हूं कि भारतीय महिलाएं अधिक पश्चिमी कपड़े पहन रही हैं?' इस पर जया ने कहा-'मुझे लगता है कि जो कुछ हुआ है वह बहुत अनजाने में हुआ है, हमने स्वीकार किया है कि पश्चिमी पहनावा अधिक है। यह एक महिला को वह जनशक्ति देता है। मैं एक महिला को नारी शक्ति में देखना पसंद करूंगी मैं यह नहीं कह रही हूं कि जाओ साड़ी पहनो जो सिर्फ एक उदाहरण है लेकिन मुझे लगता है कि पश्चिम में भी महिलाएं हमेशा कपड़े पहनती हैं। यह सब बहुत बाद में हुआ जब उन्होंने भी पैंट पहनना शुरू किया।'

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आशा पारेख ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में बेबी आशा पारेख नाम से की थी। दस साल की उम्र में मां फिल्म (1952) से उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करना शुरू किया था।  इसके बाद बिमल रॉय की फिल्म 'बाप बेटी' (1954) में उन्होंने काम किया, लेकिन इसकी असफलता ने उन्हें इस कदर निराश किया कि उन्होंने फिल्मों में काम न करने का फैसला ले लिया।आशा ने 16 साल की उम्र में फिल्मों में वापसी का फैसला लिया। बतौर एक्ट्रेस उनकी पहली फिल्म 'दिल दे के देखो' थी। स फिल्म में शम्मी कपूर उनके अपोजिट रोल में थे। फिल्म सुपरहिट साबित हुई और आशा रातों रात बॉलीवुड की सुपरस्टार बन गईं। 


Content Writer

Smita Sharma

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