सलाकार की मरियम, मौनी रॉय के लिए वैसी ही हैं जैसी तृप्ति डिमरी के लिए एनिमल
Wednesday, Aug 13, 2025-03:52 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज भी जब स्क्रीन पर किसी किरदार की अहमियत को उसके स्क्रीन टाइम से आंका जाता है, ऐसे में 'सलाकार' में मौनी रॉय का मरियम के रूप में प्रदर्शन यह याद दिलाता है कि असली ताकत अभिनय में होती है, न कि रन टाइम में। जैसे ‘एनिमल’ में ट्रिप्ती डिमरी ने कम समय में दर्शकों का दिल जीत लिया था, वैसे ही सलाकार में मौनी ने दर्शाया है कि एक आकर्षक और सम्मोहक स्क्रीन उपस्थिति ही दर्शकों को सचमुच प्रभावित करती है, जिससे हर पल यादगार बन जाता है।
फारूक कबीर की इस जासूसी थ्रिलर में, मौनी ने एक ऐसी भूमिका निभाई है जो न केवल कहानी को सहारा देती है, बल्कि उसे एक मजबूत आधार भी प्रदान करती है। पाकिस्तान में तैनात एक अंडरकवर भारतीय खुफिया एजेंट के रूप में, वह मरियम/श्रृष्टि को बेहद संवेदनशीलता, संतुलन और स्पष्टता के साथ निभाती हैं। यह एक ऐसी भूमिका है जो किसी और के हाथों में शायद साधारण रह जाती, लेकिन मौनी की अदाकारी इसे अविस्मरणीय बना देती है।
सबसे प्रभावशाली बात यह है कि मौनी अपने अभिनय में ओवरड्रामैटिक नहीं होतीं, बल्कि पूरे फ्रेम में गहराई से रच-बस जाती हैं। उनकी हर नज़र, हर संवाद में एक ठहराव और वज़न महसूस होता है। मरियम का किरदार उतना ही उसके अंदर छिपे जज़्बातों के बारे में है, जितना वह खुले तौर पर दिखाती हैं — यह एक ऐसी महिला की कहानी है जो कर्तव्य, पहचान और निजी बलिदानों के बीच फंसी हुई है। यह प्रदर्शन "सीन चुराने" जैसा नहीं है, बल्कि हर सीन को ऊंचाई देने वाला है।
ऐसे दौर में जब सहायक किरदार अक्सर बदलने लायक लगते हैं, मौनी की मरियम एक अपवाद बनती है — एक ऐसा पात्र जो कहानी में भावनात्मक गहराई जोड़ता है, और जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह उस गहन तैयारी और भीतर से निकले अभिनय का प्रमाण है, जो केवल अनुभवी कलाकार ही निभा सकते हैं।
सलाकार मौनी रॉय के करियर का एक मील का पत्थर बन सकता है, क्योंकि इसमें उन्होंने एक पारंपरिक रूप से ‘सहायक’ समझे जाने वाले किरदार को कहानी की आत्मा में बदल दिया है। जैसे एनिमल ने तृप्ती डिमरी को नए सिरे से परिभाषित किया, वैसे ही सलाकार मौनी को केवल एक खूबसूरत चेहरा या सक्षम अदाकारा नहीं, बल्कि एक ऐसी दमदार उपस्थिति के रूप में पेश करता है जो किसी भी कहानी को उसके लिखे हुए स्तर से ऊपर उठा सकती है।
ऐसी दुनिया में जहां उच्च अवधारणा वाली कहानियां अक्सर व्यक्तिगत अभिनय पर हावी हो जाती हैं, मौनी हमें याद दिलाती हैं कि आत्मा और बुद्धिमत्ता के साथ निभाया गया किरदार ही सबसे ज़्यादा देर तक दर्शकों के दिल में रहता है।