सोहम शाह हुए आमिर खान के मुरीद, जानें क्यों सितारे जमीन पर को बताया उम्मीद जगाने वाली फिल्म
Monday, Jun 23, 2025-06:07 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हाल ही में सितारे ज़मीन पर की सफलता के बाद एक्टर सोहम शाह ने इंस्टाग्राम पर बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान के लिए अपनी तारीफ जाहिर की है। देशभर में दर्शकों के दिलों को छू रही इस दिल से जुड़ी कहानी ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि अगर कहानी सच्ची हो, तो उसका असर सीधा दिल तक पहुंचता है और मेनस्ट्रीम सिनेमा में ऐसी कहानियों की जगह हमेशा बनी रहती है।
अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में सोहम शाह ने लिखा,
"आमिर सर इस देश के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक हैं, लेकिन फिर भी वो अपनी स्टारडम से नहीं, अपनी कहानियों से लीड करना चुनते हैं। सितारे ज़मीन पर की सफलता ने मुझे एक फिल्ममेकर के तौर पर जबरदस्त उम्मीद दी और ये याद दिलाया है कि दिल से निकली कहानियों की वाकई अहमियत होती है। शुक्रिया आमिर खान, हमें यकीन दिलाने के लिए कि सिनेमा अगर अर्थ रखता हो, तो उसकी ताकत सबसे ज़्यादा होती है।"
सितारे ज़मीन पर, जो 2007 की कल्ट क्लासिक तारे ज़मीन पर की एक स्पिरिचुअल सीक्वल मानी जा रही है, को बच्चों की लर्निंग डिसेबिलिटीज़ की संवेदनशील प्रस्तुति और सहानुभूति, शिक्षा और इमोशनल वेलबीइंग जैसे जरूरी मुद्दों को उठाने के लिए जबरदस्त सराहना मिल रही है। आमिर खान, जो इन दोनों ही फिल्मों में नजर आए हैं, हमेशा से ऐसे स्क्रिप्ट चुनने के लिए जाने जाते हैं जो सिनेमा की सीमाओं को आगे बढ़ाती हैं और साथ ही गहरी सोशल मैसेज देती हैं। उन्होंने सालों से ये साबित किया है कि जिन कहानियों पर वो यकीन करते हैं, उनके पीछे खड़े रहना जरूरी है, क्योंकि दिल से निकली कहानियां मायने रखती हैं। आमिर ने दिखाया है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक इमोशनल, इनक्लूसिव और कमर्शियल अनुभव भी हो सकता है।
सोहम शाह पहले भी आमिर खान के उस नजरिए की तारीफ कर चुके हैं, जहां वो एक वक्त में सिर्फ एक फिल्म करते हैं लेकिन पूरी ईमानदारी और दिल से उस कहानी के पीछे खड़े रहते हैं। उनका मानना है कि ऐसी कहानियों को बताने के लिए विनम्रता और हिम्मत दोनों होनी चाहिए और यही सोच उन्हें 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' आमिर खान के और करीब लाती है। इस सोच का एक बेहतरीन उदाहरण है मेनस्ट्रीम सिनेमा में दिव्यांग बच्चों की कहानी को जगह देना। सितारे ज़मीन पर जहां लर्निंग डिसेबिलिटीज़ से जूझते बच्चों की दुनिया को उम्मीद, बराबरी और अपनापन के साथ दिखाती है, वहीं सोहम शाह की फिल्म क्रेजी भी इसी भाव को एक थ्रिलर अंदाज़ में छूती है। कहानी का लेंस चाहे अलग हो, लेकिन उसका दिल – इमोशन, प्यार और एक्सेप्टेंस ही रहा है।
ऐसी कहानियों को आम सिनेमा में लाना सच में एक बहादुरी वाला कदम है। इससे साफ दिखता है कि सोच सबको साथ लेकर चलने वाली है, जिसमें हर किसी को अपनी जगह, अपनी आवाज़ मिलनी चाहिए। ये नज़रिया हमें उनके नजर से दुनिया देखने का मौका देता है और दिल से जुड़ने की वजह बनता है।
तुम्बाड, शिप ऑफ थीसियस और अब क्रेजी जैसी फिल्मों में अपने दमदार रोल्स के लिए पहचाने जाने वाले सोहम शाह खुद भी अलग और कंटेंट से भरपूर सिनेमा के पैरोकार हैं। आमिर खान के लिए उनकी ये तारीफ सिर्फ एक एक्टर की तारीफ नहीं, बल्कि इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे उस बदलाव की तरफ इशारा है, जहां अब दर्शक चमक-धमक से ज़्यादा, कहानियों की गहराई को अहमियत देने लगे हैं।
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