''औरतें जलती रहीं, पिटती रहीं..तब समाज नहीं चीखा?'' अब दो घटनाएं हुई हर कोई चौंक गया..पतियों की हत्या के मामले में जावेद ने कही खरी बात
Monday, Jun 30, 2025-05:12 PM (IST)

मुंबई. बॉलीवुड के जाने माने लेखक और गीतकार जावेद अख्तर अक्सर अपने बेबाक अंदाज को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। वह किसी भी मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखते हैं। इसी बीच हाल ही में उन्होंने कुछ महिलाओं द्वारा अपने पतियों की हत्या के मामलों पर समाज की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी महिला पर अत्याचार होता है, तब समाज चुप रहता है, लेकिन जब कोई महिला गुस्से में या मजबूरी में कुछ गलत कर बैठती है, तो वही समाज चौंक जाता है।
हाल ही में एक इवेंट में जावेद अख्तर ने मेरठ और मेघालय की दो हालिया घटनाओं का जिक्र किया। एक वह मामला, जिसमें एक महिला ने पति की हत्या कर शव के टुकड़े करके नीले ड्रम में छुपा दिया, जबकि दूसरे केस में शादी के कुछ ही दिन बाद ही एक महिला ने अपने पति की हनीमून के दौरान जान ले ली। गीतकार ने कहा कि अगर किसी महिला ने शादी के तुरंत बाद ऐसा कदम उठाया है, तो ये जानना जरूरी है कि क्या वो शादी उसकी मर्जी से हुई थी या नहीं। उन्होंने कहा- "जो उसने किया वो गलत है, लेकिन क्या उस पर शादी का दबाव था? क्या वो शादी उसके लिए जरूरी बना दी गई थी?"
जावेद ने एक बेहद जरूरी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "क्या भारत के किसी छोटे शहर की लड़की अपने माता-पिता से कह सकती है कि वह शादी नहीं करना चाहती? क्या उसे ये हक है?" 'सच को समझना जरूरी' गीतकार ने ये भी साफ किया कि वो किसी की हत्या को सही नहीं मानते- चाहे वो पति ही क्यों न हो। लेकिन उन्होंने ये कहा कि हमें सिर्फ सज़ा की बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि ये भी समझना चाहिए कि कोई ऐसा कदम क्यों उठाता है। 'औरतें जलती रहीं, पिटती रहीं... तब समाज क्यों नहीं चीखा?'
आगे उन्होंने कहा- "एक दौर था जब बहुओं की मौत प्रेशर कुकर फटने से होती थी। लेकिन सास या उनकी बेटियां कभी नहीं मरीं। क्या ये इत्तेफाक है?"
जावेद साहब यही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि कितनी ही महिलाएं सालों से घरेलू हिंसा झेलती आई हैं- जलाना, पीटना, मानसिक प्रताड़ना- ये सब आम हो गया है, लेकिन तब कभी समाज को झटका नहीं लगा। अब जब दो महिलाओं पर हत्या का आरोप है, तो हर कोई चौंक गया है। लेकिन तब कहां थे ये लोग जब महिलाएं रोज-रोज मरती थीं?"