पिता के सपने को पूरा कर रही हैं शबाना आजमी, आजमगढ़ के गांव की सैकड़ों गरीब लड़कियों की संवारी जिंदगी

Monday, Jun 09, 2025-12:51 PM (IST)

मुंबई. भारतीय सिनेमा की दिग्गज अदाकारा शबाना आजमी सिर्फ एक सफल एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने जहां एक ओर ग्लैमर और अभिनय की दुनिया में अपना नाम कमाया है, वहीं दूसरी ओर अपने पिता और मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की सामाजिक सेवा की विरासत को भी पूरी शिद्दत से आगे बढ़ाया।

शबाना आजमी का यह सामाजिक सफर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मिजवां से जुड़ा है- वह स्थान जिसे कैफ़ी आज़मी ने अपने जीवन की सामाजिक क्रांति का आधार बनाया था। आज शबाना उसी मिजवां को महिलाओं और लड़कियों के लिए आत्मनिर्भरता, शिक्षा और रोजगार का केंद्र बना चुकी हैं।

शबाना आजमी ने मिजवां वेलफेयर सोसाइटी के अंतर्गत ‘श्री कैफ़ी आज़मी गर्ल्स इंटर कॉलेज’ की स्थापना की है। यह स्कूल विशेष रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को शिक्षा देने के लिए शुरू किया गया।

इस स्कूल में आसपास के 10 गांवों की लड़कियां पढ़ती हैं और अब तक इस संस्थान से 6,000 से अधिक लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं।


शबाना आजमी की मिजवां वेलफेयर सोसाइटी महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और कंप्यूटर जैसे कौशल में भी प्रशिक्षित करती है। इन कौशलों के माध्यम से महिलाएं खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें या रोजगार पा सकें, यही इसका उद्देश्य है।
  
शबाना आजमी ने मिजवां में एक कैफी आजमी कंप्यूटर सेंटर की स्थापना की, जहां लड़कियों को कंप्यूटर शिक्षा दी जाती है। कोविड-19 के दौरान उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रवासी मजदूरों के लिए एक सूचना केंद्र (रोजगार ढाबा) स्थापित किया जाए।

यह केंद्र सरकारी योजनाओं, नौकरी के अवसर, आधार व राशन कार्ड, और अन्य जरूरी जानकारी से जुड़ने में मदद करता है।

उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “सूचना ही शक्ति है। गरीबों को अधिकार नहीं मिल पाते क्योंकि उनके पास सूचना नहीं होती।”
 
महामारी के दौरान शबाना आजमी और उनकी टीम ने मिजवां के आसपास के गांवों में राशन, तेल, मास्क, सैनिटरी नैपकिन, और मेडिकल किट बांटी।
उन्होंने खुद बताया कि उन्हें सबसे अधिक खुशी इस बात की है कि वे ग्राउंड लेवल पर लोगों की मदद कर पा रही हैं।


इतना ही नहीं, शबाना आजमी ने मिजवां की लड़कियों के लिए भारत की पहली कंटेनर-आधारित होम साइंस लैब शुरू की है। इस पहल के माध्यम से लड़कियां व्यावहारिक घरेलू शिक्षा और पोषण, स्वच्छता जैसे जरूरी विषयों को सीखती हैं। 

शबाना आजमी ने पिता की विरासत को रखा जीवंत 

शबाना आजमी यह सब अपने पिता कैफ़ी आज़मी की प्रेरणा से कर रही हैं, जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक मिजवां को एक आत्मनिर्भर गाँव बनाने का सपना देखा था। शबाना ने 2013 में मिजवां वेलफेयर सोसाइटी, कैफी आजमी गर्ल्स कॉलेज, कैफी आजमी कंप्यूटर सेंटर, और सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए। वह कहती हैं: “यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं पापा के सपनों को पूरा करूं। मिजवां सिर्फ एक गाँव नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।” 


Content Writer

suman prajapati

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News