इस फेमस डांसर का हुआ निधन, मनोरंजन जगत में पसरा मातम
Monday, Apr 14, 2025-11:49 AM (IST)

बाॅलीवुड तड़का : भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत में गहरा शोक फैल गया है। कथक नृत्य को एक नई दिशा देने वाली जानी-मानी नृत्यांगना और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया का 12 अप्रैल 2025 की सुबह निधन हो गया था। वे 94 वर्ष की थीं और लंबे समय से अहमदाबाद, गुजरात में रह रही थीं। उनके निधन की खबर से पूरे कला जगत में दुख की लहर दौड़ गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से बहुत दुःख हुआ, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई। कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून पिछले कई वर्षों में उनके उल्लेखनीय कार्यों में झलकता है। एक सच्ची अग्रणी होने के साथ-साथ उन्होंने कई पीढ़ियों के नर्तकों का पालन-पोषण भी किया। उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा। उनके परिवार, छात्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'
Deeply saddened by the passing of Kumudini Lakhia ji, who made a mark as an outstanding cultural icon. Her passion towards Kathak and Indian classical dances was reflected in her remarkable work over the years. A true pioneer, she also nurtured generations of dancers. Her…
— Narendra Modi (@narendramodi) April 12, 2025
कौन थीं कुमुदिनी लाखिया?
कुमुदिनी लाखिया का जन्म 17 मई 1930 को हुआ था। उन्होंने भारतीय कथक नृत्य की दुनिया की एक मशहूर हस्ती थीं। उन्होंने पारंपरिक कथक में आधुनिक दृष्टिकोण और नई सोच जोड़कर इस कला को और भी समृद्ध किया। उन्होंने ना केवल मंच पर शानदार प्रस्तुतियां दीं, बल्कि कई पीढ़ियों को प्रशिक्षित भी किया। कुमुदिनी ने अहमदाबाद, गुजरात में 12 अप्रैल 2025 को अंतिम सांस ली।
'कदम्ब' की स्थापना
साल 1964 में उन्होंने अहमदाबाद में 'कदम्ब सेंटर फॉर डांस एंड म्यूजिक' की स्थापना की। यह संस्थान आज कथक के आधुनिक प्रशिक्षण और नवाचार का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। देश-विदेश से छात्र यहां सीखने आते हैं।
मिले थे कई बड़े सम्मान
कुमुदिनी लाखिया को भारत सरकार की ओर से कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, (पद्मश्री – 1987), (संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार – 1982), (कालिदास सम्मान – 2002-03), (पद्म भूषण – 2010), (पद्म विभूषण – भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) आदि से नवाजा गया है।
उनकी प्रमुख कोरियोग्राफ़ियां
कुमुदिनी लाखिया ने कई उल्लेखनीय नृत्य रचनाएं तैयार कीं, जिनमें से कुछ खास, (धबकर, युगल, अतः किम) है
अंतिम विदाई
उनके निधन से शास्त्रीय नृत्य प्रेमियों, छात्रों और कलाकारों को गहरा आघात पहुंचा है। वे एक ऐसी कलाकार थीं जिन्होंने कथक को सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन बना दिया।