ब्राह्मण समाज पर विवादित टिप्पणी के लिए मनोज मुंतशिर ने अनुराग कश्यप को दी खुली चुनौती, कहा-अपने शब्दों पर लगाम लगाएं
Sunday, Apr 20, 2025-02:36 PM (IST)

मुंबई. फिल्ममेकर और एक्टर अनुराग कश्यप अपने बयानों को लेकर हमेशा से ही चर्चा में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने फिल्म 'फुले' को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपनी राय रखी थी। इस दौरान डायरेक्टर ने ब्राह्मण समाज को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी जिसके बाद वो निशाने पर आ गए। यहां तक कि उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज हुई। वहीं मामला बढ़ता देख अनुराग कश्यप ने ब्राह्मण समुदाय से माफी मांग ली। हालांकि, इसके बाद भी उनकी मुश्किल कम नहीं हुई है। अब हाल ही में गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अनुराग कश्यप को उनकी असंवेदनशील टिप्पणी के लिए खुली चुनौती दी है।
मनोज मुंतशिर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए एक वर्ग पर की गई टिप्पणी के लिए अनुराग कश्यप को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा- ‘अगर आपकी आय कम है, तो अपने खर्चों पर लगाम लगाएं और अगर आपकी जानकारी कम है, तो अपने शब्दों पर लगाम लगाएं। अनुराग कश्यप आपकी आय और जानकारी दोनों सीमित हैं। आपके पास एक वर्ग की विरासत को एक इंच भी गंदा करने की क्षमता नहीं है। हालांकि, जैसा कि आपने अपनी इच्छा जाहिर की है, मैं आपके घर कुछ तस्वीरें भेजना चाहूंगा। फिर आप तय करें कि आप अपना गंदा पानी किस पर डालना चाहते हैं।’
इसके बाद मनोज मुंतशिर ने कई महान लोगों के नाम लिए और कहा, ‘आचार्य चाणक्य, चंद्रशेखर तिवारी आजाद, बाजीराव बल्लाड, भगवान परशुराम, रामकृष्ण परमहंस, रामधारी सिंह दिनकर, आदि शंकराचार्य, मंगल पांडे, अटल बिहारी वाजपेयी, तात्या टोपे, राजगुरु, परमवीर कैप्टन मनोज पांडे, बाल गंगाधर तिलक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य, पंडित भीमसेन जोशी, संगीत सम्राट तानसेन, लता मंगेशकर, रानी लक्ष्मीबाई, महाकवि कालिदास, गोस्वामी तुलसीदास, तुम्हारे जैसे अनगिनत नफरती खत्म हो जाएंगी, लेकिन हमारी गौरवशाली विरासत नहीं।’
आगे मनोज ने आगे अनुराग कश्यप को चेतावनी देते हुए कहा कि वह बोलने से पहले सोचें। वह अपने शब्दों का समर्थन नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी सीमा के भीतर रहना सीखना चाहिए और सीमा पार नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको खुली चुनौती देता हूं। मेरे द्वारा दिए गए 21 नामों में से एक नाम चुनें और मैं आपको उसकी तस्वीर अवश्य भेजूंगा। यदि आप अपने शब्दों पर अमल करने की हिम्मत नहीं रखते हैं, तो बेहतर है कि आप अपनी सीमा में रहना सीखें।’