watch pix: बारिश में हॉट सीन कर चुकी स्मिता पाटिल से था कैमरे को प्यार

Sunday, Dec 13, 2015-01:15 PM (IST)

मुंबई: भारतीय सिनेमा के नभमंडल में स्मिता पाटिल ऐसे ध्रुवतारे की तरह है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक सिनेमा में भी दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनाई। स्मिता पाटिल अभिनीत फिल्मों पर यदि एक नजर डाली जाये तो वह जो कुछ भी करती थी वह उनके द्वारा निभाई गई भूमिका का जरूरी हिस्सा लगता है और उसमें वह कभी भी गलत नही होती थी। अभिनेत्री स्मिता पाटिल को गुजरे 29 साल हो गए हैं। 17 अक्तूबर 1955 को पुणे शहर में जन्मी स्मिता पाटिल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई महाराष्ट्र से पूरी की। उनके पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे जबकि उनकी मां समाज सेविका थी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मराठी टेलीविजन में बतौर समाचार वाचिका काम करने लगी। 

इसी दौरान उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुयी। श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म ''चरण दास चोर'' बनाने की तैयारी में थे। श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और अपनी फिल्म ‘‘चरण दास चोर’’ में स्मिता पाटिल को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर दिया। उनका कहना था कि कैमरे को स्मिता पाटिल से प्यार था, वो बाकी सब छोड़कर उन पर टिक जाता था।

भारतीय सिनेमा जगत में चरण दास चोर को ऐतिहासिक फिल्म के तौर पर याद किया जाता है क्योंकि इसी फिल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल और स्मिता पाटिल के रूप में कलात्मक फिल्मों के दो दिग्गजों का आगमन हुआ। श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल के बारे मे एक बार कहा था ‘‘मैंने पहली नजर में ही समझ लिया था कि स्मिता पाटिल में गजब की स्क्रीन उपस्थिति है और जिसका उपयोग रूपहले पर्दे पर किया जा सकता है। ‘‘चरण दास चोर’’ हालांकि बाल फिल्म थी लेकिन इस फिल्म के जरिये स्मिता पाटिल ने बता दिया था कि हिंदी फिल्मों मे खासकर यथार्थवादी सिनेमा में एक नया नाम जुड़ गया है।  

इसके बाद वर्ष 1975 मे श्याम बेनेगल द्वारा ही निर्मित फिल्म ‘‘निशांत’’में स्मिता को काम करने का मौका मिला। वर्ष 1977 स्मिता पाटिल के सिने करियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुयी। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म ‘‘मंथन’’ में स्मिता पाटिल के अभिनय ने नये रंग दर्शको को देखने को मिले। इस फिल्म के निर्माण के लिये गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन की मिलने वाली मजदूरी में से ''दो-दो'' रूपये फिल्म निर्माताओं को दिये और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुई तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई।

फिल्म ''नमक हलाल'' में बारिश में अमिताभ के साथ ''आज रपट जाइए'' गाने में स्मिता ने दर्शकों को दिखा दिया था कि वह हॉटनेस के मामले में भी किसी हेरोइन से काम नहीं है। 1975 से 1985 तक करीब 10 सालों में स्मिता हिंदी सिनेमा का बहुत बड़ा नाम बन गई थी। कुछ ही सालों के करियर में उन्होंने ''मंथन'', ''भूमिका'', ''आक्रोश'', ''बाजार'', ''नमक हलाल'', ''अर्थ'', ''मंडी'', ''मिर्च मसाला'' जैसी यादगार फिल्में दीं। 13 दिसंबर, 1986 को 31 साल की उम्र में स्मिता का निधन हो गया था। 

 

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