IVF की मदद से ऐश्वर्या राय ने लड़के को दिया जन्म? युवक का दावा हुआ वायरल!
Friday, May 09, 2025-10:41 AM (IST)

मुंबई. बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन अक्सर अपनी फिल्मों और परिवार को लेकर चर्चा में रहती हैं। आम तौर पर उनके परिवार में पति अभिषेक बच्चन और बेटी आराध्या बच्चन के बारे में ही सुर्खियां बनती हैं। इसी बीच ऐश्वर्या को लेकर सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है, जिसने सभी को हैरत में डाल दिया है।
दरअसल, आंध्रप्रदेश का रहने वाला एक युवक आदिरेड्डी संदीप कुमार नाम का शख्स लगातार यह दावा कर रहा है कि वह ऐश्वर्या राय बच्चन का बेटा है। उसका यह दावा पहली बार 2018 में सामने आया था, लेकिन अब एक बार फिर से उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह खुद को ऐश्वर्या का बेटा बताते हुए कई तरह के तर्क देता है।
संदीप कुमार का कहना है कि उसका जन्म साल 1988 में लंदन में हुआ था और वह IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक के जरिए जन्मा बच्चा है। वह यह भी कहता है कि ऐश्वर्या राय ही उसकी जैविक मां हैं। हालांकि यह दावा तथ्यों और तार्किक आधार पर पूरी तरह अविश्वसनीय और हास्यास्पद लगता है।
ऐश्वर्या राय का जन्म 1 नवंबर 1973 को हुआ था।अगर संदीप का जन्म 1988 में हुआ होता, तो उस समय ऐश्वर्या की उम्र महज 14-15 साल की थी। यह कल्पना करना भी कठिन है कि इतनी कम उम्र में कोई लड़की IVF जैसी जटिल प्रक्रिया से कैसे गुजर सकती है।
ऐश्वर्या राय ने 1994 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था और उस वक्त वह सिर्फ 20 साल की थीं। उस समय तक भी उनके जीवन से जुड़ी ऐसी कोई खबर सामने नहीं आई थी।
पुलिस कार्रवाई और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
जब संदीप कुमार ने यह दावा किया था, तब आंध्रप्रदेश पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने संदीप की मानसिक स्थिति की जांच करवाई थी और बाद में मामला शांत हो गया। अब जब उसका वीडियो फिर से वायरल हो रहा है, तो लोग सोशल मीडिया पर उसे जमकर ट्रोल कर रहे हैं।
हालांकि, इस पूरे मामले पर अब तक इस पूरे मामले पर ऐश्वर्या राय बच्चन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उन्होंने इस तरह के बेबुनियाद दावों को अनदेखा करना ही बेहतर समझा है।
ऐश्वर्या राय बच्चन वर्तमान में अपने परिवार- पति अभिषेक बच्चन और बेटी आराध्या के साथ एक सामान्य और निजी जीवन जी रही हैं। उनका कोई बेटा नहीं है और ना ही इस दावे को लेकर कोई कानूनी या मेडिकल प्रमाण मौजूद है।