जिंदा एक्टर की मौत का मनाया गया था मातम:''क्योंकि सास भी...'' के मिहीर के घर सफेद साड़ी में पहुंचीं औरतें,अमर बोले- मैं मरा नहीं...
Saturday, Nov 16, 2024-12:46 PM (IST)
मुंबई: टीवी सीरियल काफी लंबे समय से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। दूरदर्शन ने ये काम करना शुरू किया था, जिसके बाद कई और टीवी चैनलों ने अपने-अपने सीरियल लाने की शुरुआत की। जब 2000 का दशक शुरू हुआ।ये वो दौर था जब प्रोड्यूसर एक्ता कपूर टीवी पर अपने डेली सोप्स से काफी सुर्खियां बटोर रही थीं।लोग उनके सीरियल की कहानी के बारे में आपस में चर्चा भी करते थे। मां-दादी-नानी सभी लोगों की घड़ी में जैसे ही 10.30 बजते थे, वो तुरंत टीवी के सामने बैठ जाते थे।
वहीं ऐसा सीरियल आया जिसने हर तरफ मानो सनसनी सी मचा दी थी। हम बात कर रहे हैं एक्ता कपूर के सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की।तुलसी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस स्मृति ईरानी को लोग आज भी उनके काम के लिए याद करते हैं लेकिन एक और किरदार था जो हर किसी के दिल में बसा वो था मिहिर का जिसे एक्टर अमर उपाध्याय ने निभाया था।
शो के पहले ही कुछ एपिसोड्स से मिहिर सभी मां-बहनों का चहेता बन गया था लेकिन एक समय सीरियल में ऐसा आया था जिसने हर तरफ खलबली सी मचा दी थी जब तुलसी के पति मिहिर के किरदार को शो में मृत दिखाया गया था। मिहिर का किरदार निभाने वाले एक्टर अमर ने हाल ही में मिहिर की मौत के ऊपर दर्शकों के रिएक्शन के बारे में बात की है। एक इंटरव्यू में अमर ने बताया कि उनके किरदार मिहिर की मौत से सभी लोग बड़े दुखी हुए थे।
अमर ने शो के बारे में बताया-'एकता ने मिहिर की मौत वाला एपिसोड इतना बढ़ चढ़कर दिखा दिया था कि जब वो आखिरकार मरा तो ऐसा लगा कि हर तरफ जैसे खलबली सी मच गई। जब वो एपिसोड ऑन-एयर हुआ मुझे याद है मेरी मां वो एपिसोड देख रही थीं और रो भी रही थीं, तभी मैंने उनको कहा कि मैं जिंदा हूं आपके साथ ही बैठा हूं। देर रात को मुझे बालाजी टेलीफिल्म्स से एक कॉल आया कि उनके इमेल सर्वर क्रैश और टेलीफोन लाइन्स जाम हो गए हैं क्योंकि मिहिर की मौत को लेकर हर तरफ एक बहुत बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। उन्हें देर रात 2 बजे प्रोडक्शन के ऑफिस में जाकर सभी कॉल्स का जवाब देना पड़ा और सभी को समझाना पड़ा था कि वो जिंदा हैं, बस उनके किरदार की मौत हुई है।'
सफेद साड़ियां पहन घर पहुंच गईं थी औरतें
उन्होंने कहा-'मैं एक सुबह उठा और मेरे घर की घंटियां बज रही थीं. कुछ 15-20 औरतें मेरे घर के बाहर सफेद साड़ियों में खड़ी थीं. उन्होंने मुझे जैसे ही देखा, वो चौंक गईं। जब मेरी मां ने उनसे पूछा कि वो हमारे घर में ऐसे क्यों आई हैं, तब उन्होंने बताया कि वो यहां मिहिर की मौत का शोक मनाने आई हैं। मेरी मां को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने उनको डांट लगाई और वहां से भगा दिया।'