बॉम्बे HC ने कुणाल कमरा के वीडियो शेयर करने वालों पर कोई सख्ती नहीं करने का दिया आदेश, जनहित याचिका खारिज

Wednesday, Apr 09, 2025-03:06 PM (IST)

मुंबई. स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए ‘गद्दार' शब्द के इस्तेमाल के बाद लगातार चर्चा में हैं। इसी बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें कुणाल कामरा के वीडियो को दोबारा शेयर करने वालों के खिलाफ सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई की टिप्पणी भी शामिल थी।

हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के उस वीडियो को फिर से शेयर या अपलोड करने के लिए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की है, जिसमें परोक्ष रूप से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए ‘गद्दार' शब्द के साथ कटाक्ष किया गया था।

 मख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की पीठ ने 25 वर्षीय विधि छात्र द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें कामरा और मुंबई के उस होटल के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाया गया था, जहां विवादास्पद कॉमेडी शो की शूटिंग की गई थी। 

अदालत ने यह भी कहा कि कामरा ने पहले ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शिवसेना अध्यक्ष शिंदे के खिलाफ अपनी आलोचनात्मक टिप्पणियों को लेकर मुंबई के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है। 


उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘संबंधित व्यक्ति इस अदालत के समक्ष है। वह गरीब या अनपढ़ नहीं है। आप (वर्तमान जनहित याचिकाकर्ता) उसके मामले की लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं? उसने राहत के लिए कार्रवाई की है।'' 


क्या है मेटर?
दरअसल, लॉ स्टूडेंट हर्षवर्धन खांडेकर ने यह पीआईएल दायर की थी। उनके वकील अमित कटर्नवारे ने दावा किया कि एक कॉमेडियन के राजनीतिक विचार व्यक्त करने पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल एक पार्टी के कई नेताओं ने धमकी दी थी कि जो भी कुणाल का यह वीडियो शेयर करेगा या अपलोड करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि, सरकारी वकील हितेन वेणुगांवकर ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने वीडियो शेयर करने या अपलोड करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। कोर्ट ने इस बयान पर गौर किया और कहा कि राज्य सरकार की ओर से ऐसी कोई 'बदले की कार्रवाई' नहीं हुई है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह भी ध्यान देने योग्य है कि संबंधित व्यक्ति (कामरा) ने प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए पहले ही इस अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण भी मिल चुका है।'' 

शो की शूटिंग वाले स्टूडियो में तोड़फोड़ के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने कहा, ‘‘इसे देखते हुए, हम इस स्तर पर इस जनहित याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए इसका निपटारा किया जाता है।'' 

बता दें, पिछले महीने, मुंबई के उस स्टूडियो में तोड़फोड़ करने के आरोप में 12 शिवसेना कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जहां कामरा के कॉमेडी शो की शूटिंग की गई थी। बाद में उन्हें शहर की एक अदालत ने जमानत दे दी थी। शो के दौरान, कामरा ने 1997 की फिल्म ‘दिल तो पागल है' के एक लोकप्रिय हिंदी गाने के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हुए, शिंदे पर बिना उनका नाम लिए तंज कसा था, जिसमें कामरा ने शिंदे के लिए ‘गद्दार' शब्द कहा था। प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली कामरा की याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई होनी है।
 


Content Writer

suman prajapati

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