मूवी की वजह से शख्स को ऑफिस जाने में हुई देरी तो दर्ज कराई शिकायत, कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स चेन पर ठोका 1 लाख का जुर्माना

Wednesday, Feb 19, 2025-02:05 PM (IST)

मुंबई. बंगलूरू की उपभोक्ता अदालत ने पीवीआर और आईनॉक्स सिनेमा में फिल्म शुरू होने से पहले दिखाए जाने वाले विज्ञापनों को दर्शकों के समय की बर्बादी करार दिया है। अदालत ने निर्देश दिया कि इन सिनेमा हॉल्स को अब अपनी फिल्म के टिकटों पर सही समय पर फिल्म के शुरू होने का उल्लेख करना होगा। इसके अलावा, अदालत ने पीवीआर और आईनॉक्स को अत्यधिक विज्ञापनों को व्यापार का अनुचित तरीका बताया है।


कैसे सामने आया यह मामला ?

यह मामला तब सामने आया जब एक उपभोक्ता, अभिषेक एमआर ने 26 दिसंबर 2023 को 'सैम बहादुर' फिल्म देखने के लिए पीवीआर सिनेमा का रुख किया। अभिषेक ने शिकायत में बताया कि फिल्म शुरू होने से पहले 25 मिनट तक केवल विज्ञापन दिखाए गए। इस देरी के कारण वह अपनी फिल्म देखने के बाद काम पर नहीं जा पाए, जिससे उन्हें असुविधा हुई। उन्होंने बुक माय शो, पीवीआर, और आईनॉक्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

अदालत का फैसला

बंगलूरू जिला उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में बुक माय शो को दोषी नहीं ठहराया, क्योंकि बुक माय शो का फिल्म शो के समय या फिल्म के पहले दिखाए जाने वाले विज्ञापनों पर कोई नियंत्रण नहीं था। हालांकि, पीवीआर और आईनॉक्स पर आरोप लगाया गया कि वे फिल्म दिखाने के निर्धारित समय में अतिरिक्त विज्ञापन दिखाकर दर्शकों का समय बर्बाद करते हैं।

उपभोक्ता अदालत ने यह कहा कि वर्तमान समय में समय को भी पैसे के बराबर मूल्य दिया जाता है, और यह जरूरी है कि किसी का भी समय बर्बाद न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि 25-30 मिनट तक विज्ञापन दिखाए जाने से दर्शकों का काफी समय बर्बाद हो जाता है। खासकर व्यस्त जीवन जीने वाले लोगों के लिए यह समस्या और भी बढ़ जाती है, क्योंकि वे फिल्म देखने को अपनी निजी और आरामदायक समय की एक संभावना मानते हैं, न कि उनका समय इस तरह से बर्बाद किया जाए।

पीवीआर और आईनॉक्स को हर्जाना भरने का आदेश

उपभोक्ता अदालत ने पीवीआर और आईनॉक्स को शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए 20 हजार रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया है। इसके अलावा, फिल्म देखने के लिए अतिरिक्त खर्च किए गए आठ हजार रुपये का भी भुगतान करने का आदेश अदालत ने दिया।

अदालत ने मल्टीप्लेक्स चेन को एक लाख रुपये का दंडात्मक हर्जाना भी अदालत में जमा करने का आदेश दिया है। यह फैसला उपभोक्ता के समय की अहमियत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि भविष्य में किसी अन्य उपभोक्ता को ऐसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
 


Content Writer

suman prajapati

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