''द ताज स्टोरी'' के डायलॉग प्रोमो में परेश रावल ने छेड़ी राष्ट्रीय बहस

Tuesday, Oct 14, 2025-05:08 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  स्वर्णिम ग्लोबल सर्विसेज प्रा. लि. और सीए सुरेश झा द्वारा प्रस्तुत, तुषार अमरीश गोयल द्वारा लिखित और निर्देशित तथा परेश रावल अभिनीत, 'द ताज स्टोरी' का हाल ही में एक और प्रभावशाली डायलॉग प्रोमो रिलीज़ हुआ है, जिसने दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को देशभर में राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया है।

इस नए जारी किए गए डायलॉग प्रोमो में परेश रावल अपनी गूंजती आवाज़ में गहराई से अपनी बात रखते हुए कहते हैं, “यह मुद्दा हिंदू या मुसलमान का नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का है।”

उनके ये शब्द एक सशक्त संदेश देते हैं कि भारत का अतीत किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि साझा विरासत का प्रतीक है, जहाँ हिंदू और मुसलमान दोनों की योगदान की कहानी एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई है। साथ ही फिल्म इस विचार को भी सामने रखती है कि इतिहास को चुनिंदा नजरिए से देखने के बजाय, सच्चाई को ईमानदारी से स्वीकारना ही असली सम्मान है। आस्था और राजनीति से ऊपर उठकर यह संवाद इस बात पर जोर देता है कि हमारा अतीत केवल तथ्यों के आधार पर समझा जाए, तभी उसका वास्तविक आदर हो सकता है।

 

 

 

 

 

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सच पूछिए तो यह संवाद फिल्म को सिर्फ एक मनोरंजकता के साथ नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आत्ममंथन के रूप में स्थापित करता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि इतिहास को अब तक कैसे बताया, लिखा और याद किया जाता रहा है।

गौरतलब है कि परेश रावल, जाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ, और नमित दास जैसे सशक्त कलाकारों से सजी यह फिल्म एक तीखा सामाजिक ड्रामा है, जो आज के समय का सबसे चुनौतीपूर्ण सवाल उठाती है और वह सवाल है “आज़ादी के 79 साल बाद भी, क्या हम अब भी बौद्धिक आतंकवाद के गुलाम हैं?”

 'द ताज स्टोरी' सिर्फ एक ऐतिहासिक फिल्म नहीं, बल्कि एक सिनेमा आधारित विमर्श है, जो सामाजिक टिप्पणी और ऐतिहासिक तथ्यों की नई व्याख्या को साथ लेकर चलता है। 

31 अक्टूबर 2025 को देशभर में भव्य रिलीज़ के लिए तैयार 'द ताज स्टोरी' निश्चित रूप से दर्शकों को सोचने, सवाल करने और इतिहास तथा आज़ादी के मायनों को नए सिरे से समझने के लिए प्रेरित करेगी।


Content Editor

Jyotsna Rawat

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