पुनीत इस्सर ने रणबीर की एनिमल को ''अद्भुत'',बोले- ''12 बजे रिलीज और 12:30 बजे उतार ली गई, ऐसी फिल्में बनाएं''

Wednesday, Apr 30, 2025-12:15 PM (IST)

मुंबई: महाभारत शो फेम एक्टर पुनीत इस्सर ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की हालत पर चिंता जताई।  उन्होंने कहा कि आज की यहां केवल शहरी दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्में बनाई जाती हैं। उनका कहना है कि बॉलीवुड साउथ की तरह अल्फा-मेल पर बेस्ड फिल्में नहीं बनाता। ऐसी फिल्मों में जरूरत से ज्यादा भावुकता होती है जो आम भारतीय दर्शकों से जुड़ नहीं पातीं।यही वजह है कि ये फिल्में बॉरिवली से आगे नहीं चल पातीं और फिर ओवरसीज कमाई के नाम पर हिट घोषित कर दी जाती हैं।

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पुनीत ने अपनी बात को समझाते हुए कहा कि बाहुबली, आरआरआर, बजरंगी भाईजान, गदर और छावा जैसी फिल्में असली मसाला एंटरटेनर्स हैं, जो आम भारतीय दर्शकों के लिए बनाई जाती हैं और उन्हीं के स्वाद के मुताबिक होती हैं।

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पुनीत ने कहा- आखिर लोगों को अल्लू अर्जुन जैसे स्टार्स क्यों पसंद आते हैं, क्योंकि 'पुष्पा' जैसी फिल्में सीधे आम जनता से जुड़ती हैं, 'आरआरआर' हिट क्यों हुई? क्योंकि साउथ में कॉर्पोरेट्स का दखल नहीं है, वहां मेल-डॉमिनेटेड फिल्में बनती हैं। उन्होंने इस तथ्य को और क्लियर करते हुए कहा कि इसका मतलब ये नहीं कि वो मेल-शॉविनिस्ट हैं।

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पुनीत ने कहा, 'नहीं, साउथ में अल्फा-मेल फिल्में बनती हैं, यही हकीकत है और लोग यही देखना चाहते हैं। इसीलिए सलमान और शाहरुख इतने बड़े स्टार हैं।जब रणबीर कपूर एनिमल करता है तो वो भी सुपरहिट हो जाती है वो फिल्म वाकई कमाल की थी।'

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 फिल्मों में हिंसा और 'अल्फा-मेल' थीम्स पर हो रही आलोचनाओं को लेकर कहा- 'लोग क्या कहते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। क्या हमें वैसे ही फिल्में देखनी चाहिए जो वे बनाते हैं? आयुष्मान खुराना की एक फिल्म आई थी चंडीगढ़ करे आशिकी, जो 12 बजे रिलीज हुई और 12:30 बजे तक उतार ली गई। क्या हमें ऐसी फिल्में बनानी चाहिए? नहीं, सत्यम शिवम सुंदरम जैसी फिल्मों में भी गरिमा होती थी। क्या आप सिर्फ लेस्बियनिज्म पर या गे लोगों पर फिल्म बनाना चाहते हैं? ठीक है, वो भी समाज का एक हिस्सा है, मैं उनकी मौजूदगी को नकारता नहीं और सम्मान करता हूं।'


Content Writer

Smita Sharma

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