बतौर कलाकार कभी संतुष्ट नहीं हो सकती : तनिष्ठा चटर्जी
Tuesday, Jul 04, 2017-12:03 PM (IST)

मुंबई : बॉलीवुड एक्ट्रैस तनिष्ठा चटर्जी का मानना है कि एक कलाकार को कभी भी अपनी कला से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि जिस दिन एक कलाकार संतुष्ट हो जाता है, उसी दिन उसकी कला मर जाती है। तनिष्ठा जागरण फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने आई थीं। ‘एंग्री इंडियन गॉडेस’ ‘शैडोज ऑफ टाइम’, ‘पाच्र्ड’ और ‘डॉक्टर रुक्माबाई’ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाने के बाद भी वह अपने करियर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और नए मौकों की तलाश में रहती हैं।
उन्होंने कहा, “मैं अब तक के सफर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो सकती, क्योंकि एक कलाकार जिस दिन अपनी कला से संतुष्ट हो जाता है, उसी दिन उसकी कला की मौत हो जाती है, इस लिए मैं यह नहीं कह सकती कि मैं अपने अभिनय के सफर से संतुष्ट हूं। मैं नए अवसरों और बेहतरीन किरदारों की तलाश में रहती हूं।” इस फेस्टिवल में तनिष्ठा की फिल्म ‘डॉक्टर रुक्माबाई’ प्रदर्शित हुई। फिल्म ‘देख इंडियन सर्कस’ के लिए न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब जीत चुकीं तनिष्ठा ने रुक्माबाई की भूमिका निभाने के अपनी तरफ से पूरी तैयारी की और किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की।