लंदन में बना DDLJ के राज-सिमरन का आइकॉनिक स्टैच्यू, शाहरुख खान और काजोल ने अपने हाथों से किया अनावरण
Friday, Dec 05, 2025-01:14 PM (IST)
मुंबई. साल 1995 में रिलीज हुई शाहरुख खान और काजोल की मूवी 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का आज भी लोगों में जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है। न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी मूवी के राज और सिमरन को खूब प्यार मिलता है। वहीं, हाल ही में इस फिल्म के 30 साल पूरे शाह रुख खान और काजोल ने लंदन के लीसेस्टर स्क्वायर में राज-सिमरन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया, जिसमें दोनों का बेहद आइकॉनिक लुक में दिखाई दे रहा है।
दरअसल, हाल ही में लंदन में राज और सिमरन का ब्रॉन्ज स्टेच्यू बना, जिसे खुद शाह रुख खान और काजोल ने रिवील किया। शाह रुख और काजोल के अलावा यश राज फिल्म्स के सीईओ अक्षय विधानी और हार्ट ऑफ लंदन बिजनेस अलायंस की मुख्य कार्यकारी रोज मॉर्गन की उपस्थिति में इसका अनावरण किया गया। यह बॉलीवुड के लिए बहुत बड़ी बात मानी जा रही है क्योंकि यह पहली बार है जब किसी भारतीय फिल्म को लीसेस्टर स्क्वायर में स्टेच्यू के जरिए में सम्मानित किया गया है।
A bronze statue of Shah Rukh Khan and Kajol in their iconic DDLJ pose now stands tall at London’s Leicester Square — a first for any Indian film. DDLJ, the longest-running film in Indian cinema, continues its magic. ✨#ShahRukhKhan #Kajol #DDLJ pic.twitter.com/wAPg4xXYwI
— Shah Rukh Khan Warriors FAN Club (@TeamSRKWarriors) December 4, 2025
शाहरुख खान ने जताई खुशी
स्टूच्यू के लॉन्च इवेंट में शाह रुख खान ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि यह फिल्म उनके दिल के बेहद करीब है। यह सच्चे दिल से बनाई गई फिल्म थी जिसका मकसद प्यार को फैलाना था। उन्होंने कहा कि इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली।
एक्टर ने कहा, "यह भावुक कर देने वाला पल है, जिसने कई यादें ताजा कर दीं। दुनिया भर में फिल्म को मिले प्यार से मुझे बहुत गर्व महसूस होता है और मैं यह पल पूरी डीडीएलजे टीम, निर्देशक आदित्य चोपड़ा और यश राज फिल्म्स परिवार के साथ शेयर करना चाहता हूं। यह पल मैं कभी नहीं भूलूंगा।"
काजोल ने भी जाहिर की खुशी
वहीं, काजोल ने कहा कि वह 30 साल बाद भी लोगों से इतना प्यार पाकर बहुत बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, "लंदन में स्टेच्यू का अनावरण होते देखना ऐसा था जैसे हम अपने इतिहास का एक हिस्सा फिर से जी रहे हों। एक ऐसी कहानी जिसने पीढ़ियों का सफर तय किया है।
