साउथ स्टार मोहनलाल को केरल हाईकोर्ट से बड़ा झटका, रद्द हुआ हाथीदांत रखने के प्रमाण पत्र
Friday, Oct 24, 2025-06:50 PM (IST)
मुंबई. साउथ सुपरस्टार मोहनलाल को केरल हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला है। हाईकोर्ट ने एक्टर के पास मौजूद हाथीदांत की वस्तुओं से जुड़े स्वामित्व प्रमाणपत्रों को अवैध घोषित कर दिया है। अदालत ने कहा कि वन विभाग द्वारा जारी किए गए ये प्रमाणपत्र कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं, क्योंकि इन्हें जारी करने की प्रक्रिया वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की निर्धारित शर्तों के अनुरूप नहीं थी।
मामला क्या है?
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति जोबिन सेबेस्टियन की खंडपीठ ने सुनाया। यह निर्णय एलूर, कोच्चि निवासी पॉलोज के ए द्वारा दायर की गई याचिका पर आया था। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की उन अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 40(4) के तहत जारी की गई थीं और जिनके आधार पर मोहनलाल को हाथीदांत की वस्तुएं रखने की अनुमति मिली थी।
मोहनलाल ने वन विभाग को अपनी दो जोड़ी हाथीदांत और 13 कलाकृतियां घोषित की थीं, जिनके लिए उन्हें मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा स्वामित्व प्रमाणपत्र दिया गया था।

कोर्ट में क्या हुआ?
याचिकाकर्ता का तर्क था कि जब यह प्रमाणपत्र जारी किए गए, उस समय हाथीदांत से जुड़ा एक आपराधिक मामला पहले से ही पेरुंबवूर न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित था। इसलिए, वन विभाग द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्र कानूनी रूप से अनुचित हैं। सरकार ने अपनी ओर से कहा कि मोहनलाल ने अधिनियम की आवश्यकताओं का पालन किया था, और उन्हें वस्तुएं रखने की अनुमति अधिसूचना के तहत दी गई थी। हालांकि, अदालत ने पाया कि राज्य सरकार ने अधिसूचनाएं आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं की थीं, जो कि कानून के तहत एक अनिवार्य प्रक्रिया है।
सरकार ने यह दलील दी कि अधिसूचनाओं का अन्य माध्यमों से प्रचार पर्याप्त था, लेकिन अदालत ने इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया।
अदालत का फैसला
अदालत ने अपने फैसले में कहा, “जब किसी वैधानिक शक्ति का प्रयोग उस कानून में बताए गए निर्धारित तरीके से नहीं किया जाता, तो वह शक्ति कानूनी रूप से वैध नहीं मानी जा सकती।”
हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 और 17 फरवरी 2016 को जारी राज्य सरकार के आदेशों को शुरू से ही रद्द और अप्रवर्तनीय करार दिया। साथ ही अदालत ने यह टिप्पणी करने से परहेज किया कि वन विभाग ने उन प्रमाणपत्रों को कैसे और किन परिस्थितियों में जारी किया था।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार चाहे, तो वह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 40(4) के तहत नई अधिसूचना जारी कर मोहनलाल को हाथीदांत की वस्तुएं रखने की अनुमति दे सकती है।
