30 साल के करियर में जीता  पहला नेशनल अवॉर्ड तो खुशी से झूमीं रानी मुखर्जी, बोलीं-''ये दुनिया की सभी मांओं को समर्पित''

Saturday, Aug 02, 2025-11:23 AM (IST)

मुंबई: दिल्ली में शुक्रवार को 71वें नेशनल अवॉर्ड्स का ऐलान हुआ। शाहरुख खान और विक्रांत मैसी संयुक्त रूप से बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। शाहरुख को फिल्म जवान और विक्रांत मैसी को '12th फेल' के लिए पुरस्कार मिला। शाहरुख का अपने 35 साल के करियल में पहला नेशनल अवार्ड है। शाहरुख के अलावा बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी ने भी अपने करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड जीत लिया है।उन्हें साल 2023 में रिलीज हुई 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। इस जीत के बाद उनकी तरफ से आए बयान में कहा गया है कि वो अभिभूत हैं, भाग्यशाली हैं। 

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रानी मुखर्जी ने नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद कहा- 'मैं 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' में अपनी परफॉर्मेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर अभिभूत हूं। संयोग से, ये मेरे 30 साल के करियर में पहला राष्ट्रीय पुरस्कार है। एक एक्टर के रूप में मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे काम में कुछ अविश्वसनीय फिल्में हैं और मुझे उनके लिए बहुत प्यार मिला है। मैं 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' में मेरे काम को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जूरी को धन्यवाद देती हूं।'

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टीम को कहा शुक्रिया

रानी ने आगे कहा- 'मैं इस पल को फिल्म की पूरी टीम, मेरे निर्माता निखिल आडवाणी, मोनिशा और मधु, मेरी निर्देशक आशिमा छिब्बर और उन सभी के साथ साझा करती हूं जिन्होंने मातृत्व के लचीलेपन का जश्न मनाने वाले इस विशेष प्रोजेक्ट पर काम किया। मेरे लिए ये पुरस्कार मेरे 30 साल के काम, मेरे शिल्प के प्रति समर्पण का एक सत्यापन भी है, जिसके साथ मैं एक गहरा आध्यात्मिक संबंध महसूस करती हूं और सिनेमा और हमारे इस खूबसूरत फिल्म उद्योग के लिए मेरा जुनून है।'

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देश की सभी मांओं के समर्पित है ये अवार्ड

अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा- 'मैं ये नेशनल अवॉर्ड इस दुनिया की सभी मांओं को समर्पित करती हूं। एक मां के प्यार और अपने बच्चे की रक्षा करने की उसकी तीव्रता जैसा कुछ भी नहीं होता। ये भारतीय प्रवासी मां की कहानी है, जो अपने बच्चे के लिए पूरी ताकत झोंक देती है और एक राष्ट्र से लड़ती है। इस कहानी ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। मां का अपने बच्चे के लिए प्यार बिना शर्त होता है। मुझे ये तब समझ आया, जब मैं खुद मां बनी। इसलिए ये जीत, ये फिल्म मेरे लिए बहुत इमोशनल और पर्सनल लगती है। एक मां अपने बच्चों के लिए पहाड़ भी हिला सकती है और दुनिया को बेहतर भी बना सकती है। यही मैसेज इस फिल्म ने देने की कोशिश की है।'

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बता दें किसाल 2011 में जब सागरिका अपने पति अनुरूप भट्टाचार्य के साथ नॉर्वे में रहती थीं, तब उनके बच्चों को नॉर्वे के अधिकारियों ने ले लिया था। अपने बच्चों की कस्टडी के लिए सागरिका नॉर्वे सरकार से लड़ती है। फिल्म में उसी जर्नी को दिखाया गया है।


 


Content Writer

Smita Sharma

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