मैं ऐसा बदकिस्मत बाप जिसका बुढ़ापा...बेटे सिद्धू के भोग समागम में भावुक हुए पिता, मां बोलीं-29 मई को काला दिन चढ़ा..मेरा सब कुछ
Wednesday, Jun 08, 2022-04:05 PM (IST)

बॉलीवुड तड़का टीम. 29 मई को पंजाबी इंडस्ट्री का उबरता हुआ सितारा दुनिया को अलविदा कह गया। पंजाबी मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला की 29 मई को दिन दिहाड़े गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई, जिससे सिद्धू के मां-बाप की सारी दुनिया ही उजड़ गई। सिंगर के मां-बाप ने दिल पर पत्थर रख अपने लाडले की चिता को अग्नि दी। वहीं आज सिद्धू मूसेवाला की आत्मिक शांति के लिए मानसा में भोग समागम कराया गया। इस मौके सिद्धू के पिता बलकौर सिंह और मां चरण कौर फिर भावुक हो गए और उन्होंने अपने दिल का दर्द भी लोगों के साथ साझा किया।
सिद्धू मूसेवाला के भोग समागम मानसा की अनाज मंडी में आयोजित किया गया, जहां भारी संख्या में लोग शामिल हुए। लगभग 3 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इसके बावजूद फैंस ने समागम स्थल तक पहुंच कर सिंगर को श्रद्धांजलि दी।
बेटे के भोग समागम में पिता बलकौर सिंह ने कहा कि मेरे बेटे ने किसी के साथ कुछ गलत नहीं किया। मुझे नहीं पता कि उसे क्यों मारा गया है। अगले 5-10 सालों तक सिद्धू मूसेवाला की आवाज उनके कानों में गूंजती रहेगी। इंसाफ की लड़ाई जारी रहेगी। फिर भी मैं सरकार को वक्त देना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, संघर्षपूर्ण हालातों में मूसेवाला आगे बढ़ता रहा। हालात ऐसे थे कि मैं कभी जेब खर्च तक पूरा नहीं दे सका। उसने अपनी मेहनत से बारहवीं की। ग्रेजुएशन करने के लिए लुधियाना के गुरुनानक इंजीनियरिंग कॉलेज चला गया। फिर IELTS कर बाहर चला गया। डिग्री के बाद भी मुझे कभी तंग नहीं किया।
मूसेवाला के पिता ने कहा, बेटे को जब भी पैसों की जरूरत होती तो अपना गाना बेच देता था। बुलंदियों तक पहुंचने के बाद भी अपने पास पर्स नहीं रखा। एक हजार रुपए की जरूरत होती तो मुझसे मांगता था। जब भी घर से निकलता, हमेशा पैर छूकर और आज्ञा लेकर जाता था। गाड़ी की सीट पर बैठकर भी मां को गले लगाकर जाता था।
पिता बलकौर सिंह ने बताया कि 29 मई को मां चरण कौर गांव में किसी की मौत होने पर वहां गई थी। मैंने मूसेवाला को कहा कि मैं साथ जाता हूं। तब मैं खेत से आया था। मूसेवाला ने कहा कि आपके कपड़े गंदे हैं। मैं 5 मिनट में जूस पीकर वापस आता हूं।
बलकौर सिंह ने कहा कि मैं सारी जिंदगी मूसेवाला के साथ रहा। आखिर में मैं पीछे रह गया। अब मेरे पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं रहा। मुझे यह तक नहीं पता कि मेरे बच्चे का कसूर क्या है? मेरे पास कभी कोई फोन कॉल या उलाहना नहीं आया कि मेरे बच्चे ने कोई कसूर किया हो। मूसेवाला ने हमें कहा था कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। उन्होंने मां-बाप के सिर पर हाथ रख कसम खाई थी कि कभी किसी को कुछ नहीं कहा।
पिता ने कहा, अगर मेरा बेटा गलत होता तो गनमैन जरूर रखता। कन्ट्रोवर्सी चलती रही। हम परेशान हुए। कामयाब होने के बाद वह प्राइवेट सिक्योरिटी भी रख सकता था। हम अपनी जिंदगी काट लेंगे, लेकिन मेरे बेटे की चिता पर खबरें न बनाओ।
वहीं सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने कहा कि 29 मई को काला दिन चढ़ा और ऐसा लगा कि मेरा सब कुछ खत्म हो गया। आप लोगों ने दुख में साथ दिया तो लगा कि मूसेवाला मेरे ही आसपास है। हमारे हौंसले को इसी तरह बनाकर रखना। पगड़ी और माता-पिता का सत्कार करना। प्रदूषण काफी बढ़ चुका है। हर व्यक्ति मूसेवाला के नाम पर एक-एक पेड़ लगाएं। उसे छोड़े नहीं बल्कि पालकर बड़ा करें।