भारत-पाक युद्ध में बाॅलीवुड का ये एक्टर बना था सिपाही, बारामूला से कुपवाड़ा तक इन इलाकों में रहा तैनात

Wednesday, May 07, 2025-11:20 AM (IST)

बाॅलीवुड तड़का : भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। दमदार अभिनय, भारी आवाज़ और अलग अंदाज़ के लिए मशहूर नाना पाटेकर जितने बेहतरीन अभिनेता हैं, उतने ही बड़े देशभक्त भी हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि वह सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना के साथ फ्रंटलाइन पर सेवा दे चुके हैं।

फिल्मी दुनिया में चमका नाम, लेकिन दिल देश के लिए धड़कता रहा

नाना पाटेकर हिंदी और मराठी दोनों सिनेमा के सफल अभिनेता हैं। उन्होंने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया है और अपने अनोखे अंदाज़ से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। लेकिन जब देश को जरूरत थी, उन्होंने अपने करियर को पीछे छोड़कर सेना की सेवा को प्राथमिकता दी।

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कारगिल युद्ध के दौरान छोड़ी फिल्में, पहना फौजी वर्दी

साल 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ। उस समय देशभर से लोग सैनिकों के समर्थन में आगे आ रहे थे। ऐसे में नाना पाटेकर ने सिर्फ मनोबल बढ़ाने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि सीधे युद्धक्षेत्र में जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने उस समय के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से मिलकर खुद को सेना में शामिल करने की अनुमति मांगी। नाना ने बताया कि वह नेशनल लेवल के शूटर रह चुके हैं और उन्होंने तीन साल तक मराठा लाइट इन्फैंट्री के साथ आर्मी ट्रेनिंग भी ली है। इसके आधार पर उन्होंने मोर्चे पर सेवा करने की गुज़ारिश की, जिसे बाद में मंजूरी मिल गई।

हॉनेरी कैप्टन के रूप में LOC पर तैनाती

नाना पाटेकर को भारतीय सेना में मानद कैप्टन (Honorary Captain) का दर्जा दिया गया। अगस्त 1999 में वह कारगिल में एलओसी (LoC) पर तैनात किए गए। उन्होंने खुद बताया था कि वे द्रास, मुगलपुरा, लेह, कुपवाड़ा, बारामूला और सोपोर जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात रहे। इसके साथ ही उन्होंने सेना के अस्पताल बेस में भी काम किया।

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सेवा के दौरान घट गया था 20 किलो वजन

नाना पाटेकर ने बताया कि जब वे श्रीनगर पहुंचे थे, तब उनका वजन 76 किलो था। लेकिन युद्ध क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों के चलते जब वे लौटे, तब उनका वजन 56 किलो रह गया था। युद्ध का अनुभव उनके लिए भावनात्मक और मानसिक रूप से बेहद गहरा था।

सेना से रिटायर हुए 62 की उम्र में

नाना पाटेकर को सेना में हॉनरी कैप्टन की उपाधि दी गई थी। उन्होंने एक देशभक्त सैनिक के तौर पर 62 वर्ष की उम्र में सेना से रिटायरमेंट लिया।

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अब करते हैं खेती और समाज सेवा

आज नाना पाटेकर फिल्मों से दूरी बनाकर खेती-किसानी और चैरिटी के काम में जुटे हुए हैं। उन्होंने किसानों और जरूरतमंदों के लिए कई सामाजिक योजनाएं चलाई हैं और लगातार ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे हैं।

नाना पाटेकर: एक सच्चे कलाकार और सच्चे देशभक्त

नाना पाटेकर न सिर्फ अभिनय में माहिर हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी एक सच्चे हीरो हैं। जब देश को जरूरत थी, उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के मोर्चा संभाला। उनकी यह कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।

 


Content Editor

Mehak

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