बाॅलीवुड के इस दिग्गज कलाकार का हुआ निधन, फिल्म इंडस्ट्री में पसरा मातम
Monday, May 05, 2025-11:47 AM (IST)

बाॅलीवुड तड़का : बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के फेमस Production Designer Wasiq Khan का निधन हो गया है। इस दुखद खबर की जानकारी फिल्म निर्देशक अश्विनी चौधरी ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों को दी। वासिक खान के जाने से फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों को गहरा सदमा पहुंचा है। उनके निधन पर कई फिल्मी हस्तियों ने दुख जताया है।
कैसे शुरू हुआ वासिक खान का फिल्मी सफर?
वासिक खान का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ था। उन्होंने 1996 में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। उनके पिता इंजीनियर थे, लेकिन वासिक ने अपनी रुचि कला फिल्म की दुनिया में दिखाई। कॉलेज के दिनों में उनकी मुलाकात प्रसिद्ध आर्ट डायरेक्टर समीर चंदा से हुई, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की राह दिखाई।
मुंबई में ऐसे शुरू किया करियर
दिल्ली से मुंबई आने के बाद वासिक ने कमालिस्तान स्टूडियो में एक बैकड्रॉप पेंटर के तौर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्हें समीर चंदा के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने मणिरत्नम की तमिल फिल्म 'इरुवार' (1997) और श्याम बेनेगल की 'हरी-भरी' (2000) में बतौर असिस्टेंट आर्ट डायरेक्टर काम किया। ये फिल्में उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुईं।
अनुराग कश्यप की फिल्मों में रहा खास योगदान
वासिक खान को निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्मों में उनके बेहतरीन सेट डिजाइनों के लिए खास पहचान मिली। उन्होंने 'ब्लैक फ्राइडे' (2004), 'नो स्मोकिंग' (2007), 'गुलाल' (2009), 'दैट गर्ल इन येलो बूट्स' (2011), और खासकर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' (2012) में शानदार काम किया। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के रियलिस्टिक और डिटेल्ड सेट्स ने कहानी को जीवंत बना दिया और फिल्म की सफलता में वासिक के काम को जमकर सराहा गया।
मसाला फिल्मों में भी दिखाया जलवा
वासिक ने सिर्फ आर्ट या रियलिस्टिक फिल्मों में ही नहीं, बल्कि कमर्शियल फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने सलमान खान की हिट फिल्मों 'वॉन्टेड' (2009) और 'दबंग' (2010) में कमाल का प्रोडक्शन डिजाइन किया। 'दबंग' के लिए उन्होंने 100 से ज्यादा स्केच तैयार किए, जिससे हर सीन में रियलिस्टिक माहौल बना।
भव्य सेट्स से जीता दर्शकों का दिल
संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गोलियों की रासलीला राम-लीला' (2013) और आनंद एल राय की 'रांझणा' (2013) में वासिक ने भव्य और शानदार सेट्स तैयार किए, जो दर्शकों को बेहद पसंद आए। इसके अलावा उन्होंने 'टैक्सी नंबर 9211' (2006), 'तनु वेड्स मनु' (2011), और 'तेरे बिन लादेन' (2010) जैसी फिल्मों में भी यादगार काम किया। 'तेरे बिन लादेन' के लिए उन्होंने मुंबई के फिल्म सिटी में पाकिस्तान के एबटाबाद शहर को फिर से रिक्रिएट किया। वहीं, 'लम्हा' (2010) के लिए उन्होंने कश्मीर से दो ट्रक भरकर चिनार के पत्ते मंगवाए थे ताकि असली लोकेशन जैसा माहौल मिल सके।