दक्षिण एशियाई संगीत और अमेरिकी सांस्कृतिक पहचान के बीच का सेतु
Saturday, Sep 20, 2025-03:21 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। ह्यूस्टन, टेक्सास में जन्मे शाहज़ेब तेजानी ने दक्षिण एशियाई और अमेरिकी संगीत शैलियों का एक अनूठा मिश्रण तैयार किया है। हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी में काम करने वाले तेजानी का संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि प्रवासी जीवन और सांस्कृतिक पहचान का प्रतिबिंब भी है।
तेजानी ने अपने करियर की शुरुआत 2019 में गाने अपना बना ले ना से की, जो कि डी.जे. शैडो दुबई के सहयोग से ज़ी म्यूज़िक कंपनी द्वारा रिलीज़ किया गया। यह सहयोग न केवल उसकी प्रतिभा को भारत और संयुक्त अरब अमीरात तक पहुँचाने का माध्यम बना, बल्कि यह यह दिखाने वाला एक उदाहरण भी है कि कैसे प्रवासी कलाकार सीमाओं को पार कर सकते हैं।
तेजानी के संगीत में पश्चिमी पॉप, बॉलीवुड हिट्स और शास्त्रीय उर्दू और हिंदी गीतों का मेल है। उनका कहना है, “मुझे लगता है कि भाषा संगीत का बंधन नहीं है। उर्दू अपनी कोमलता और गहराई लेकर आती है, हिंदी दर्शकों को परिचित करती है और अंग्रेज़ी वैश्विक श्रोताओं तक पहुँच बनाती है। इन तीनों को मिलाकर ही मेरी पहचान बनती है।”
संगीत विशेषज्ञों का मानना है कि तेजानी का करियर उस व्यापक प्रवासी प्रवृत्ति का हिस्सा है, जिसमें अमेरिकी या यूरोपीय मूल के दक्षिण एशियाई कलाकार अपने सांस्कृतिक मूल्यों को संगीत के माध्यम से वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर रहे हैं।
हालांकि, आलोचकों ने यह भी इंगित किया है कि तेजानी के कुछ गीत पारंपरिक दक्षिण एशियाई शास्त्रीय शैली के बजाय आधुनिक पॉप धुनों के अधिक निकट हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक गहराई कभी-कभी साधारण श्रोताओं के लिए अस्पष्ट हो सकती है। इसके बावजूद, उनकी बहुभाषी प्रस्तुति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने प्रवासी कलाकारों के लिए अवसरों को बढ़ा दिया है। अब ह्यूस्टन में बैठा एक कलाकार मुंबई या कराची के प्रोड्यूसरों के साथ सहयोग कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगीत रिलीज़ कर सकता है।
तेजानी का दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है। वह अपने संगीत के माध्यम से सांस्कृतिक संवाद, बहुभाषी अभिव्यक्ति और प्रवासी जीवन की जटिलताओं को सामने लाना चाहते हैं। उनका कहना है, “मेरे लिए संगीत का अर्थ सिर्फ गीत नहीं, बल्कि कहानी और भावना साझा करना है। अगर कोई इसे महसूस कर सकता है, चाहे शब्दों को पूरी तरह समझे या नहीं, वही असली सफलता है।”