मैं बर्बाद हो गया..मनोज बाजपेयी की ''जोरम'' के बाद कंगाल हुए डायरेक्टर देवाशीष, किराया देने के नही हैं पैसे
Friday, Aug 09, 2024-01:18 PM (IST)
बॉलीवुड तड़का टीम. अज्जी, भोंसले और जोरम जैसी हिट मूवीज को डायरेक्ट कर चुके देवाशीष मखीज इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। वो पिछले 2 दशक से मुंबई में रह रहे हैं, लेकिन अभी तक खुद को आर्थिक तौर पर सिक्योर नहीं कर पाए हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपना दर्द बयां किया और बताया कि उनके लिए फिल्म इंडस्ट्री में खुद को बनाए रखना कितना मुश्किल रहा है।
हाल ही में एक इंटरव्यू में डायरेक्टर ने कहा- आज भी जब मैं किसी एक्टर को कॉल करता हूं या मिलने बुलाता हूं तो वो कहते हैं- तुम्हारा ऑफिस कहां है? मैं बोलता हूं- मेरे पास ऑफिस नहीं है। आप बताओ मुझे कहां आना है या हम कॉफी शॉप में मिले। मैं आपको बताऊंगा कौन से कॉफी शॉप क्योंकि वर्सोवा के सारे कॉफी शॉप को मैं अफोर्ड नहीं कर सकता। अभी भी मैं जिंदगी के ऐसे फेज पर खड़ा हूं।
उन्होंने कहा, जब मुझे स्टूडियो में मिलने के लिए बुलाते हैं। एग्जीक्यूटिव पूछते हैं मुझे गाड़ी कहां पार्क करनी है? तो मैं कहता हूं- मेरे पास गाड़ी नहीं है, स्कूटर तक नहीं है। इसलिए वो मुझसे पूछते हैं मैं कैसे आऊंगा। मैं उन्हें कहता हूं पास की लोकेशन होगी तो ऑटो से आऊंगा, दूर होगा तो बस पकड़ूंगा। 20 साल और चार फीचर फिल्में करने के बाद भी मेरे लिए ये चीजें नहीं बदली हैं।
डायरेक्टर ने बताया उनकी लेटेस्ट रिलीज जोरम की वजह से वो फाइनेंशियली बर्बाद हो गए हैं। उनके पास किराया देने को पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैंने ये सोचकर शांति पा ली है कि ये जिंदगी भर के लिए नहीं बदलने वाला है तो मैं क्यों बदलूं। मुझे नहीं पता मैं अगले महीने अपने कुक को फीस दे पाऊंगा या नहीं। ये सभी बातें मेरे दिमाग में घूम रही हैं। मेरी असुरक्षाएं वास्तविक हैं और वे इस हद तक बढ़ गई हैं कि इसके नतीजे कल ही महसूस किए जाएंगे, दो साल बाद नहीं। इसलिए मुझे काम करते रहना है, क्योंकि नहीं पता अलगी बार चेक कहां से मिलेगा।
आखिर में देवाशीष ने कहा- मैं एक साथ 8 कहानियों पर काम कर रहा हूं, क्योंकि मुझे नहीं पता कौन सी कहानी को हरी झंडी मिलेगी। डायरेक्टर की मूवी 'जोरम' बुरी तरह पिटी थी।