मैं हिंदुस्तानी हूं ,हिंदुस्तानी होने पर फक्र है, फिर इसी मिट्टी पैदा होना चाहता हूं:गुलजार साहब

Sunday, Apr 04, 2021-01:57 PM (IST)

मुंबई: हिंदी सिनेमा जगत और साहित्य की दुनिया का वो नायाब सितारे गुलजार साहब के गानों में जिंदगी और सच्चाई का बेहतरीन नमुना देखने को मिलता है।गुलजार साहब ने कला के जिस पहलू में हाथ आजमाया, वह विनर ही साबित हुए फिर डाहे शायरी, सिनेमा और किस्सागोई ही क्यों न हो।

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हाल ही में गुलजार ने एक कार्यक्रम का हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए भारत, भारतीयता और मौजूदा साहित्य समेत कई मुद्दों पर बात रखी। गुलजार साहब ने कहा- 'मैं हिंदुस्तानी हूं और हिंदुस्तान पर फख्र करता हूं। न मुझे किसी और मुल्क में पैदा होने की ख्वाहिश थी, ना है और ना होगी। इस जन्म के बाद भी मैं इसी हिंदुस्तान में पैदा होना चाहूंगा।

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कलम के जादूगर गुलजार साहब ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा- जैसी जिंदगी जी, जो महसूस किया, वो लिखा। यह सोचकर नहीं लिखा कि ये कितने लोगों को प्रभावित करेगा।'

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बता दें कि कई नैशनल और इंटरनैशनल अवॉर्ड जीत चुके गुलजार ने शायरी और गाने लिखने के अलावा कई बेहतरीन फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है। उन्होंने 'अंगूर', 'नमकीन', 'आंधी', 'मौसम', 'परिचय', 'कोशिश', 'मेरे अपने' जैसी बेहतरीन फिल्मों का डायरेक्शन किया है। उन्होंने तुझसे नाराज नहीं जिंदगी,मैं पल दो पल का शायर हूं, तुम आ गए हो नूर आ गया है,खाली हाथ शाम आई है जैसे कई गाने लिखे हैं। 
 


Content Writer

Smita Sharma

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