खत्म हुआ 85 साल का सफर:183 करोड़ में बिका रानी मुखर्जी और काजोल के दादा का ''फिल्मिस्तान स्टूडियो'', देखिए अंदर का नजारा

Tuesday, Jul 08, 2025-11:13 AM (IST)


खत्म हुआ 85 साल का सफर:183 करोड़ में बिका रानी मुखर्जी और काजोल के दादा का 'फिल्मिस्तान स्टूडियो', देखिए अंदर का नजारा


मुंबई: एक्ट्रेस काजोल और रानी मुखर्जी के दादा, शशधर मुखर्जी ने 1943 में फिल्मिस्तान स्टूडियोज की स्थापना की थी। फिल्मिस्तान स्टूडियो मुंबई के शुरुआती स्टूडियो में से एक था।  अब इस स्टूडियो को आधिकारिक रूप से करोड़ों में अर्काडे डिवेलपर्स को बेच दिया गया है।एक रिपोर्ट के अनुसार यह सौदा 3 जुलाई 2025 को पूरा हुआ जिससे हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग का एक अध्याय समाप्त हो गया। रियल एस्टेट डेवलपर्स अर्केड डेवलपर्स ने 183 करोड़ रुपये की भारी रकम में खरीद लिया है।

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1940 के दशक में इस स्टूडियो में फिल्मों की शूटिंग हुआ करती थी। इस कारण ये भारतीय सिनेमा का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन गया था लेकिन अब इसे बेच दिया गया, जिससे उन लोगों को थोड़ा धक्का जरूर लगा जो इससे करीबी रूप से जुड़े हुए थे।

 1943 में अशोक कुमार के साथ मिलकर किया था स्थापित

फिल्मिस्तान स्टूडियो को काजोल और रानी मुखर्जी के दादा ससाधर मुखर्जी ने अपने बहनोई यानी बहन के पति और एक्टर अशोक कुमार के साथ मिलकर 1943 में स्थापित किया था। ज्ञान मुखर्जी और बहादुर चुन्नीलाल भी स्टूडियो के फाउंडर थे। इसे तब बनाया गया जब अशोक कुमार ने शहर के सबसे नामी स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज को छोड़ दिया था।

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स्टूडियो में फिल्म और टीवी सीरियल की शूटिंग

शुरुआती समय में फिल्म स्टूडियो को सिर्फ एक इस तौर पर नहीं देखा जाता था कि यहां फिल्में बनाई जाती हैं बल्कि इसे प्रोडक्शन कंपनी के रूप में देखा जाता था जो फिल्में बनाती थीं साउंड स्टेज, आउटडोर सेट और फिल्ममेकर के कारण फेमस फिल्मिस्तान ने कई दशक तक कई बॉलीवुड फिल्मों, टीवी सीरीयल्स और कमर्शियल्स शूट्स के लिए शूटिंग लोकेशन के रूप में काम किया।

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शादियों और अंतिम संस्कार के सीन हुए शूट

इस स्टूडियो में 'तुमसा नहीं देखा' और 'जागृति' फिल्म की शूटिंग हुई थी, जिसे बेस्ट फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। ये वही जगह है, जहां पर न जाने कितनी शादियों और अंतिम संस्कार के सीन शूट हुए थे। यहीं वह हर फिल्मों में नजर आने वाला वो मंदिर आज भी मौजूद है जो धूल से सन चुका है। पांच एकड़ में फैसे इस स्टूडियो में सात शूटिंग फ्लोर हैं और आउटडोर लोकेशन के लिए एक गार्डन भी है।

हैदराबाद के निज़ाम' ने की फंडिंग

बताया जाता है कि इसकी स्थापना में स्मान अली खान 'हैदराबाद के निज़ाम' ने फंडिंग की थी। यहां 'शहीद' (1948), 'शबनम' (1949), 'सरगम' (1950), 'अनारकली' (1953) और 'नागिन' (1954), 'मुनीमजी' (1955), और 'पेइंग गेस्ट' (1957) जैसी हिट फिल्में बनी हैं।


 अब बनेगी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग

फिल्मिस्तान स्टूडियो का रजिस्ट्रेशन 3 जुलाई को किया गया है। एक की रिपोर्ट के मुताबिक अर्केड डेवलपर्स लिमिटेड 3000 करोड़ रुपए की कीमत के लग्जरी अपार्टमेंट्स के प्रोजेक्ट को लॉन्च करने की प्लानिंग कर रहा हैं। बताया जा रहा है कि इसे 2026 में शुरू किया जा सकता है जिसमें 50 फ्लोर होंगे और दो ऊंचे टावर में 3,4 और 5 BHK फ्लैट और पेंटहाउस शामिल होगा।

गौरतलब है कि ये तीसरा स्टूडियो है जिसे मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में तब्दील किया जाएगा। इसके पहले चेंबूर में आरके स्टूडियो और जोगेश्वरी में कमाल अमरोही के कमालिस्तान स्टूडियो को बहुमंजिला इमारतों में बदल दिया गया था।
 


Content Writer

Smita Sharma

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