मां पानी मांगती रही पर मैंने..उस काली रात को याद कर भावुक हो उठे अरशद वारसी, बोले -अब लगता है मां को..

Wednesday, Oct 29, 2025-05:39 PM (IST)

मुंबई. एक्टर अरशद वारसी बॉलीवुड इंडस्ट्री के टैलेंटड और सफल एक्टर्स में से एक हैं। आज वो इंडस्ट्री के चाहे कितने भी बड़े स्टार क्यों न बन गए हो, लेकिन उन्हें उनके पेरेंट्स की कमी हमेशा खलती है। अरशद के सिर से उनके मां-बाप का साया 14 साल की उम्र में उठ गया था। ऐसे में वह अक्सर कई मौकों पर अपने माई-बाबू को याद कर भावुक हो उठते हैं। वहीं, हाल ही में एक्टर ने एक इंटरव्यू में अपने पेरेंट्स को खोने पर बात की और काफी भावुक हो गए।

 
अरशद वारसी ने राज शमानी के पॉडाकास्ट में बताया कि उनके पास परिवार से जुड़ी ज्यादा यादें नहीं हैं, क्योंकि उनका ज्यादातर बचपन बोर्डिंग स्कूल में बीता। उन्होंने कहा, 'जब बात मेरे बचपन की आती है तो मुझे अपने परिवार से ज्यादा अपने स्कूल की याद आती है, क्योंकि मैं 8 साल की उम्र में बोर्डिंग स्कूल चला गया था।'
अपनी मां के बारे में बात करते हुए अरशद वारसी ने कहा कि उनकी आखिरी याद बहुत ही भयानक है, और वह उन्हें आज भी सताती है। अरशद ने बताया कि पापा के निधन के बाद उनकी मां की किडनी फेल हो गई थी और उन्हें डायलिसिस पर रहना पड़ा था।

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एक्टर ने कहा, 'मेरी मां एक सिंपल हाउसवाइफ थीं, जो बहुत अच्छा खाना बनाती थीं। उनकी किडनी फेल हो गई थी और वह डायलिसिस पर थीं। डॉक्टरों ने हमें उन्हें पानी न देने के लिए कहा था, लेकिन वह बार-बार पानी मांगती रहीं। मैं मना करता रहा, और निधन से एक रात पहले उन्होंने (मां ने) मुझे बुलाया और फिर से पानी मांगने लगीं। उसी रात उनकी मौत हो गई और यह बात मुझे अंदर तक झकझोर कर रख देती है। मेरे अंदर एक ऐसा हिस्सा भी है जो मुझसे कहता रहता है कि अगर मैंने मां को पानी दिया होता और उसके बाद उनकी मौत हो जाती, तो मैं जीवन भर यही सोचता रहता कि उनकी मौत इसलिए हुई क्योंकि मैंने उन्हें पानी दिया था।'


अरशद वारसी बोले- तब बच्चा था, पर अब लगता है मां को पानी देना चाहिए था
हालांकि, अब अरशद वारसी को इस बात का अपराधबोध नहीं है, पर फिर भी लगता है कि उन्हें मां को पानी देना चाहिए था। वह बोले, 'अब मुझे लगता है कि मुझे मां को पानी पिला देना चाहिए था। मैं तब बच्चा था और डॉक्टर की बात सुनना चाहता था। आज मैं वह फैसला ले सकता हूं, और अस्पताल में अपने आखिरी दिन बिताने के बजाय अपने परिवार के साथ रहना चुन सकता हूं। हम कभी बीमार व्यक्ति के बारे में नहीं सोचते, बल्कि अपने अपराधबोध के आधार पर फैसले लेते हैं।'


अरशद वारसी ने बताया कि मां-पापा के गुजर जाने के बाद वह मुश्किल से रोए क्योंकि वह एक मर्द बनने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन कुछ हफ्ते बाद जब अचानक एहसास हुआ कि मां-पापा नहीं हैं, तो वह बुरी तरह रोए थे।
 


Content Writer

suman prajapati

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