''मेट्रो इन दिनों'' से शुरू हुई गजल की नई कहानी, फिर छाए पापोन

Tuesday, Sep 09, 2025-12:13 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सोलफुल म्यूज़िक के किंग पापोन के हालिया गाने मेट्रो... इन दिनों में श्रोताओं के दिल को गहराई से छू रहे हैं — और सबसे अहम यह कि ये गाने उनके ग़ज़लों के प्रति लंबे समय से चले आ रहे प्रेम को एक बार फिर मज़बूती से साबित करते हैं। याद, होते तक, क़ैदे से – फ़िल्म वर्ज़न, दस हासिल सौ बाकी और मौसम – मूड शिफ्ट जैसे गीतों में पापोन ने वह मेलोडी दी है जिसमें भावनाओं की गहराई, शायरी और शास्त्रीय संवेदनशीलता नजर आती है — और यही सब ग़ज़ल की असली आत्मा है।

क़ैदे से और याद ख़ास तौर पर पारंपरिक गजलों की गहराई और ढांचे को अपने अंदर समेटे हुए हैं, जिन्हें आधुनिक अंदाज़ में पेश किया गया है। प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध और सईद क़ादरी द्वारा लिखे गए इन गीतों में पापोन ने हर शब्द और सुर को अंतरंगता और मायने दिए हैं — जिससे साफ होता है कि गजल उनके लिए सिर्फ़ एक शैली नहीं, बल्कि एक ऐसा रूप है जिसे वह पूरी तरह जीते हैं।

लेकिन यह पापोन के लिए नया नहीं है। मेट्रो इन डीनो से पहले भी वे अपने एक्सक्लूसिव कॉन्सर्ट सीरीज शाम-ए-महफ़िल विद पापोन में गजलें पेश करते रहे हैं। इन शो के जरिए उन्होंने ग़ज़लों की शायरी और गहराई को नए संगीतात्मक अंदाज के साथ तलाशा और प्रस्तुत किया है। उनकी मौजूदगी जश्न-ए-रेख़्ता जैसे प्रतिष्ठित उर्दू साहित्य महोत्सव में भी गजलों पर उनकी पकड़ को सामने लाती है, जहां उनकी परफ़ॉर्मेंस ने श्रोताओं को भावुक और मंत्रमुग्ध कर दिया था।

मेट्रो इन डीनो के गानों को मिली व्यापक सराहना के बाद अब पापोन के आने वाले ग़ज़ल एल्बम को लेकर उत्साह बढ़ गया है। भले ही इसके आधिकारिक विवरण अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन प्रशंसक पहले से ही उस दिल से गाए गए और संगीत से भरपूर प्रोजेक्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। शायरी, धुन और मूड की उनकी सहज समझ को देखते हुए उम्मीदें बहुत ऊंची हैं — और अगर उनके हालिया काम को आधार माना जाए, तो यह एल्बम ग़जलों को नई पीढ़ी के लिए अनुभव करने का एक बिल्कुल नया अंदाज़ दे सकता है।

 


Content Editor

Jyotsna Rawat

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